क्यों लड़कियां स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करती हैं?

यह सवाल लड़कों में माता-पिता तक के मन में घुमड़ता है कि जब एडमिशन में टेस्ट होते है, तो  लड़कियां कमजोर लगती है,लेकिन फिर क्यों हो जाता है कि उनके नतीजे बेहतर और बेहतर होते चले जाते हैं?










 
एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसी सवाल का जवाब ढूंढा | उन्होंने लगभग छह हजार बच्चो के किंडरगार्टन से लेकर माध्यमिक स्तर तक की पढाई और स्कूल में व्यवहार आंकलन किया | नतीजों में सामने आया, उसमें पाठ समझने, कक्षा में दिए गए निर्देशों के पालन करने और सीखने की ललक तक सारे गुण उभर कर सामने आए |


 1. शिक्षकों के लिए अहम है  

शोधकर्ताओं ने पाया कि चाहे बात स्कूल के नियमों की हो या शिक्षकों के रुझान की, शिक्षा या सीखने के प्रति रवैया खासी अहमियत रखता है | शिक्षक भी उसी बच्चे को ज्यादा पसंद करते है, जो सीखने को ज्यादा उत्सुक रहता है | और उस मामले में लडकियों को लडको से ज्यादा प्रवृत्त पाया गया | लड़के सीखने के प्रति गंभीर रवैया नहीं अपनाते |

 

 

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2. सीखने से जुड़े हैं यह गुण 

 छह खूबियाँ एसी हैं, जिसका सीधा ताल्लुक सीखने की ललक से हैं | इसमें कक्षा में ध्यान देना यानि एकाग्रता, कार्य के प्रति लगन, नया सीखने की इच्छा, अध्ययन को ले कर स्वतंत्र सोच, लचीलापन  तथा व्यवस्था शामिल है | और शोधकर्ताओं की स्पस्ट टिपण्णी थी कि इन तमाम मामलों में पूरी दुनिया में कही के भी बच्चों की तुलना कर लीजिये, लड़कियां हमेशा बजी मरती दिखाई देंगी |
  अगर आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप सिर्फ एक पुरुष को शिक्षित करते हैं,लेकिन अगर आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं तो आप एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं.

 

3. समस्याओं को लेकर मुखरता 

 अध्ययन में उन मामलों को भी विचाराधीन रखा गया, जो भले साफ नज़र ना आएं, लेकिन कक्षा में इनका महत्त्व होता हैं | इसमें उन पहलुओं का विश्लेषण हुआ, जो बताते थे कि कक्षा या स्कूल के प्रांगण में लडकियां कार्य में कितनी रूचि लेती हैं, वो समस्याओं  के प्रति केसी प्रतिक्रिया देती हैं, कितनी बार वे झगड़ो या लड़ियों में शामिल होती हैं  और उनकी दुसरे बच्चो के साथ संवाद करने की दक्षता कितनी हैं | इस सभी मामलों में लड़कियों ने लडको पर बजी मारी |

 

 

 

4. गंभीरता  दिखाती है 

 लड़कों की तुलना में लडकियां हर चिउज को गंभीरता से लेती हैं | होमवर्क के प्रति गंभीरता भी इसमें शामिल हैं | वह होमवर्क  में ज्यादा समय देती हैं, वहीं लड़के अधिकांश समय आभासी दुनियां में बिताते  हैं  | शोध के अनुसार शिक्षको  द्वारा दिए गए गृहकार्य से गणित, विज्ञान मजबूत होते हैं, साथ ही पड़ने की आदत(रीडिंग प्रोफ़िसिएंशी ) भी बेहतर होती हैं | लड़कियों में रीडिंग प्रोफ़िसिएंशी बेहतर होने के कारण कई विषय में पड़ने और सीखने में उन्हें मदद मिलती हैं | 
 

 शिक्षा की जड़ें कडवी हैं लेकिन फल बहुत ही मीठा है.

 

5. तो इस सब से क्या साबित हुआ?

 बेहतर विद्यार्थी होना, बेहतर नतीजे पाने से केसे जोड़ा जा सकता हैं, अब सवाल यह है | एक पक्ष और था, जो समस्याओं के मामले में लड़कियों के पक्ष में पाया गया | वो था सवाल पूछना और अपनी मुश्किलों का हल ढूंढना | साथ ही अच्छा समझा जाना, तारीफ पाना और कक्षा तथा पढाई के प्रति पूरी एक्जग्रता रखना अच्छे नतीजे तो देगा ही | 

 

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6. पढने का मौका मिले, तो भी बहुत है 

तीसरी दुनिया के देशो में लड़कियों पढाई को लेकर जो माहौल और सोच है, वो भी कभी-कभी एक प्रेरणा की तरह कम करती हैं | हालांकि लडकियों की पढाई तो किसी न किसी वजह से बहुत जल्दी ही रोक दिए जाने के आंकड़े कम नही हैं, लेकिन लड़कियां कभी इस वजह से बेहतरीन प्रदर्शन भी कर जाती हैं |


प्रत्येक व्यक्ति अलग होता है, हर किसी की क्षमता और कमजोरियाँ अलग-अलग होती है,इसलिए न तो किसी और से अपनी तुलना करें, और न तो किसी और के जैसा बनने की कोशिश करें.

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क्यों लड़कियां स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करती हैं? क्यों लड़कियां स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करती हैं? Reviewed by Deepak Gawariya on July 13, 2017 Rating: 5

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