Super Mom हो सकती हैं तनावग्रस्त

क्या 'Super Mom' जीवनशैली अवसाद का कारण बन रहे हैं | घर-दफ्तर में संतुलन बिठाने की कोशिश तनाव तो नही दे रही ? या मामला अपराधबोध का हैं ? आइए पड़ताल करें...

कामकाजी मांओं पर हुई शुरूआती शोधो ने उन्हें बेहतर माँ और बच्चों के लिए प्रेरणा माना | बाद में घर-दफ्तर की दौड़ और जिम्मेदारी-भरी पदों ने Super Moms को इसी वजह से तनावग्रस्त कहा | गृहिणी और कामकाजी माँ में केवल एक अंतर हैं, कामकाजी माँ के लिए जगह प्राथमिकता में आती हैं, अन्यथा काम तो दोनों ही करती हैं | हालिया शोध सुझाते हैं की किसी भी स्त्री को अपनी प्राथमिकताओं को पुरे मन और  शक्ति से चुनना चाहिए | 




जो स्त्रियां यह मानकर काम करना चुनती हैं की वे घर-दफ्तर को संभल लेंगी, उनमे अवसाद के लक्षण जल्दी उभरते देखे गए हैं | लेकिन उन्होंने माना कि उन्हें कहीं न कहीं कुछ  छोड़ना पड़ेगा, Adjust करना पड़ेगा, वे ज्यादा व्यवहारिक होने के कारण अवसाद से दूर रहीं | वजह है अपराधबोध | सहोद के एक सवाल से पता चला की पुरुषो की तुलना में घर पर आये दफ्तर के फ़ोन का जवाब देते हुए महिलाऐं ज्यादा तनावग्रस्त होती हैं |

अवसाद को झेलने और उससे निबटने के तरीको में महिलाओं का तरीका पुरुषो से अलग होता हैं | स्त्री-पुरुषों में अवसाद को झेलने की क्षमता भी भिन्न होती हैं | इसलिए निदान के रास्ते भिन्न होंगे ही |



अवसाद के लक्षण 

अवसाद के लक्षणों में साफ़ तौर पर थकान, चिडचिडापन या गुस्सा, भूलना, एकाग्रता में कमी आना, नींद नहीं आना, निराश या असफल महसूस होना, दफ्तर जाने का मन नहीं करना सामान्य रूप से दिखाई दे जाते हैं |
 जीवन के सूत्रों को फिर से अपने हाथ में लेने के लिए इन उपायों पर अमल करें...

1.'संतुलन' नहीं, 'काम-घर फिट '

'घर-दफ्तर संतुलन' का मतलब हैं की कहीं सब बराबरी पर आ सकता हैं, जोकि संभव हैं ही नहीं | वहीँ फिट से मतलब होता हैं की दोनों तरफ इमानदार निष्ठा | फिर कभी किसी को प्राथमिकता मिलेगी, कभी किसी को | यह सर्वश्रेष्ठ चयन न भी हो, तो भी आप अपराधबोध से मुक्त रहेंगे |

2.अपने चुनाव पर नाज़ करें 

महिलाओं को सोचना पड़ता हैं की वे काम करें  या नहीं | पुरुषों के लिए एसी कोई दुविधा नहीं हैं | यह बड़ा फर्क हैं | जहाँ भी चुनने की दुविधा होती हैं, वहां अपराधबोध आ ही जाती हैं की सही चुना या नहीं | पुरुष बच्चो को समय दे पा रहे है या नहीं, इससे उनको अपने सफल पिता होने पर कोई संदेह नहीं होता | जबकि  महिलाएं, जो घर की 40 फीसदी आय ही नहीं, बचत में भी हिस्सेदारी रखती हैं, अपनी हर भूमिका पर संदेह रखती हैं | अपने चुनाव की मौलिक वजह तय करें, उस पर नाज़ करें, तो हर तरह के अवसाद को दूर रखा जा सकता हैं |



3.सिमित जिम्मेदारियां 

'घर, दफ्तर, बच्चे, रिश्तेदार...' यह फेहरिस्त जितनी लम्बी होगी, तनाव उतना ही बढेगा | महिलाऐं अच्छी प्रबंधक मानी  जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं की शारीरिक और मानसिक कार्यक्षमता और सीमाओं से परे जा कर काम किया जाए | फले अपनी क्षमताओं को देख लें, फिर काम करे | जिस काम को तय समय पर नहीं कर सकती, उसकी जिमेदारी हर्गिस न लें | दस कामों की फेहरिस्त की बजाय 2-3 महत्वपूर्ण और पुरे हो सकने वाले कामों को ही लिस्ट पर रखे | काम पूरा होने का संतोष रहेगा और व्यर्थ की हाय-हाय से बचेंगी |

 

4.क्या अहम हैं, खुद से पूछती रहें

भलें ही काम बढ़ रहा हैं, लेकिन खुद के लिए समय निकलना जरुरी हैं | स्वस्थ नहीं रहेंगी तो काम केसे होगा | जब दफ्तर से जुडी किसी यात्रा पर हो, घर के बारे में परेशान न हो | जब बच्चो व परिवार के साथ खुशियों के पल बिता रहीं हो, तब दफ्तर में आ रहे फ़ोन को उठाते हुए हर अपराधबोध को परे रखें |


अपनी खुद से उम्मीदों का पानी हकीक़तो के साथ तालमेल बैठा लें, तो समझ लीजिए आधी समस्या तो हल हो गई | अपेक्षाओं के जाल में उलझी रहीं, तो अवसाद घेर लेगा |




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Super Mom हो सकती हैं तनावग्रस्त Super Mom हो सकती हैं तनावग्रस्त Reviewed by Deepak Gawariya on July 15, 2017 Rating: 5

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